Joseph Gonzales | Lubna Marium | Paramita Saha | Urmimala Sarkar |
भारत
की संस्कृति एक ऐसी उपजाऊ भूमि रही है जहां पर कला का वटवृक्ष सदैव फलता
फूलता आया है। हमारी परंपरा में कलाएं मात्र प्रदर्शन ना होकर संस्कार भी
हैं और आध्यात्मिक अभिव्यक्ति भी। शिव की भावाभिव्यक्ति ही नृत्य है।
भरतमुनि के नाट्य शास्त्र में नृत्य की भावभंगिमा, करण, मुद्राओं और
प्रस्तुतीकरण से लेकर रसाभिव्यक्ति के तमाम वह पहलु वर्णित हैं जिन्हें
नृत्य के माध्यम से प्रदर्शित किया जा सकता है। लोक संस्कृति में भी नृत्य
मात्र व्याकरण की शास्त्रीय अभिव्यक्ति ना होकर जीवन और प्रकृति के विभिन्न
आयामों की उन्मुक्त और सहज अभिव्यक्ति है। नृत्य में संगीत, कथानक,
नाटकीयता और परिधान भी उतना ही महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं जितना कि उपरोक्त
शास्त्रीय पक्ष।
समूचे विश्व में ही नृत्य के माध्यम से मनुष्य
अपने जीवन के भावनात्मक अतिरेकों को प्रस्तुत करता आया है। यूरोप का बैले
हो या जापान का काबुकी या फिर भारत के केरल का कथकली, मनुष्य ने अपने अंतस
की बात या सामाजिक सरोकार को हर काल में नृत्य की विधा के माध्यम से
अभिव्यक्त करने का रचनात्मक प्रयास किया है। भारत में नृत्य शास्त्र की
मर्यादा का सदैव पालन किया जाता रहा है किंतु साथ ही हर काल में कलाकार
द्वारा नृत्य को उस काल के अनुसार प्रस्तुत और परिभाषित करने का प्रयास भी
किया जाता रहा है। अतः नृत्य को हर काल में उसी काल के अनुरूप अभिव्यक्त
करना अनिवार्यता भी बन जाती है । इस संदर्भ में महान नर्तक उदय शंकर का
उदाहरण सटीक है जिन्होंने नृत्य की परिभाषा को समकाल के अनुरूप प्रस्तुत
किया और उसकी शास्त्रीयता को विषमताओं से बाहर निकालते हुए आमजन के मध्य
सरस सलिला स्वरूप प्रवाहित किया। वर्तमान में कई कलाकार इस बात का सफल
उदाहरण हैं जिन्होंने नृत्य की शुद्धता को बरकरार रखते हुए उसे समकालीन
परिदृश्य में प्रस्तुत और परिभाषित किया। और यहीं गुंजाइश बनती है उसे
समयानुसार परिवर्तित करने और नई संभावनाओं को टटोलने की।
खजुराहो
नृत्य समारोह 2023 के तत्वावधान में वर्ल्ड डांस अलायंस के संयुक्त प्रयास
से आयोजित कार्यशाला - लयप्रवाह के माध्यम से हम नृत्य को समकालीन
परिप्रेक्ष्य में परिभाषित करने का पुनः प्रयास करेंगे। इस कार्यशाला के
माध्यम से शास्त्रीय एवं आधुनिक व समकालीन शैलियों के कलाकार एक रचनात्मक
संवाद स्थापित करेंगे। कार्यशाला का प्रयोजन समकालीन परिवेश में शास्त्रीय
और आधुनिक नृत्य विधाओं को एक संयुक्त मंच प्रदान कर नृत्य में नवाचार एवं
नई संभावनाओं को खोजना है।
कलाकार की स्वाभिव्यक्ति जब प्रखर होती है तब
कला और निखरकर हर प्रस्तुतीकरण में अपने नए आयामों को छूता है। फिर कोई
आश्चर्य नहीं कि एक कलाकार के द्वारा एक ही विषय पर की गई प्रस्तुतियां
कलात्मक दृष्टि से बहुत भिन्न हो जाती हैं।
वर्ल्ड डांस एलायंस
(WDA) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो दुनिया भर में नृत्य कलाकारों में
विचारों के आदान-प्रदान और नृत्य के सभी रूपों के प्रति जागरूकता
प्रोत्साहित करने के लिए एक मुखर आवाज है। WDA अपने उद्देश्यों के
क्रियान्वयन के लिए एक व्यापक वैश्विक कार्यकारी समिति के साथ अपने
क्षेत्रीय केंद्रों के माध्यम से संचालित होता है। खजुराहो नृत्य समारोह
2023 के तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला लयप्रवाह में वर्ल्ड डांस एलायंस
के एशिया पेसिफिक चैप्टर के माध्यम से वर्ल्ड डांस अलाइंस इंडिया के साथ
आयोजित की जा रही है। आधुनिक एवं समकालीन नृत्य पर केंद्रित हमारे नवीन
प्रयास में इस वर्ष सिंगापुर, मलेशिया, कैनेडा, ताईवान, दक्षिण कोरिया और
भारत के समकालीन शैली के कलाकार प्रतिभागिता करेंगे।
सिंगापुर
से किरीशिमा डांस कॉर्प्स, ताइवान से एमएडी थिएटर, भारत से नाकोम आर्ट्स
फाउंडेशन, दक्षिण कोरिया से म्यूटडांस कंपनी, कनाडा से सशर जरीफ डांस थिएटर
और मलेशिया से एएसके डांस कंपनी इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में हिस्सा
लेंगे। डब्ल्यूडीएएपी (WDA-Asia Pacific) का प्रतिनिधित्व डॉ. उर्मिमाला
सरकार (भारत, अध्यक्ष- डब्ल्यूडीएएपी), डॉ. लुबना मरियम (बांग्लादेश,
उपाध्यक्ष डब्ल्यूडीएएपी), डॉ. जोसेफ गोंजालेस (मलेशिया-हांगकांग, पूर्व
उपाध्यक्ष डब्ल्यूडीएएपी) और पारोमिता साहा (भारत, उपाध्यक्ष, डांस एलायंस
इंडिया) द्वारा किया जाएगा।
हमें आशा है कि वर्ल्ड डांस अलायंस
के साथ किया गया हमारा यह संयुक्त प्रयास हर उस नृत्य प्रेमी के लिए सफल
सिद्ध होगा जो वह हर उस बात को समझ पाए जिसे कलाकार नृत्य के माध्यम से
अभिव्यक्त करना चाह रहा है।